Wednesday, 19 November 2014

मेहनती और होशियार बहू


इंग्लैंड के एक गांव में मार्शल नामक फलों का व्यापारी रहता था | उसका व्यापार बहुत अच्छा था | मार्शल का बेटा थामस पढ़-लिख कर अपने पिता के व्यवसाय में हाथ बंटाने लगा था | वह खूब मेहनती और होशियार था | पिता को अपने पुत्र की काबिलियत पर गर्व था | मार्शल की इच्छा थी कि उसके बेटे के लिए एक ऐसी लड़की मिले जो खूब मेहनती हो और उसे काम करने में आलस्य आता हो | मार्शल का मानना था कि ऐसी लड़की उसके बेटे और घर का ध्यान बहुत अच्छी तरह रख सकेगी | परंतु समस्या यह थी कि ऐसी लड़की को कहां से ढ़ूंढ़ कर लाया जाए | वह किसी दूसरे के बताने का यकीन भी नहीं करना चाहता था |
मार्शल ने मन ही मन एक योजना बनाई | उसने एक रेहड़ी पर ढेर सारे फल रखे और उसे लेकर स्वयं एक मोहल्ले में चला गया| वहां जाकर मार्शल ने आवाज लगाई "ले लो, ले लो धूल-मिट्टी के बदले संतरे, सेब, केले ले लो | ले लो, बिना पैसों के फल लो |" वह जिधर से निकलता, वहीँ स्त्रियां घरों से बाहर निकलकर देखने लगतीं कि कौन मुर्ख है जो बिना पैसों के फल बेच रहा है | अनेक स्त्रियां आपस में खुसर-फुसर करने लगीं कि शायद यह लोगों को बेवकूफ बना रहा है | हो सकता है कि इसका कोई और मकसद हो| उन स्त्रियों ने आपस में तय किया कि उनमें से एक को जाकर फल वाले को आजमाना चाहिए | एक स्त्री ने फल वाले के पास जाकर पूछा - "भाई यह धूल- मिट्टी का क्या चक्कर है ? कितनी धूल- मिट्टी में कितने फल दोगे ?" मार्शल बोला - "तुम जितनी ज्यादा धूल- मिट्टी लाओगी, उतने ही ज्यादा फल ले सकती हो |" स्त्री को यकीन नहीं हुआ | वह फल वाले को रुकने को कहकर कर अपने घर में चली गई | उसने जल्दी-जल्दी घर में झाड़ू लगाई, कोनों में से मिट्टी निकाली और फल वाले के पास पहुंच गई | फल वाले ने उसे ढेर सारे फल दे दिए | अन्य स्त्रियों ने देखा तो उनमें फल लेने की होड़ मच गई | सभी स्त्रियां अपने- अपने घरों में झाड़ू लगाने लगीं | खूब धूल- मिट्टी उड़ने लगी |

कोई थैला भर मिट्टी लेकर पहुंची तो कोई बोरा भर | सभी स्त्रियां लड़कियां खुश थीं कि कोई बेवकूफ उन्हें धूल के बदले मुफ्त में फल दे रहा था | तभी एक लड़की फल वाले के पास पहुंची | फल वाले ने देखा कि वह खाली हाथ आई है तो उसने पूछा - "क्या तुम्हें फल नहीं चाहिए |" उस लड़की ने सकुचाते हुए अपने हाथ में से एक रूमाल निकाला जिसमें मुश्किल से दो चुटकी धूल थी | वह बोली - "श्रीमान जी, क्या इतनी धूल में भी आप कोई फल दे सकते हैं ?" मार्शल बोला - "हां हां, क्यों नहीं, तुम जो फल चाहे ले सकती हो | पर यह बताओ कि क्या तुम्हारे घर में सिर्फ इतनी ही धूल निकली ?" लड़की शरमाते हुए बोली - "दरअसल, मेरे घर में तो बिल्कुल भी धूल नहीं थी | पड़ोस की आंटी ने मुझसे अपने घर की धूल इकट्ठी करने को कहा था ताकि मैं उनके लिए यदि कोई फल मिल सके तो ले लूं | आप इतनी धूल के बदले जो फल दे सकें, वह दे दीजिए |" मार्शल ने उस लड़की से कहा - "यह सारे फल तुम ले जा सकती हो | मैं तुम्हारे पिता से मिलकर तुम्हारा हाथ मांगना चाहता हूं | मैं तुम्हें अपनी बहू बनाना चाहता हूं |" लड़की ने अपने घर की ओर इशारा किया और शरमाती हुई घर में घुस गई | मार्शल ने उस लड़की को अपनी बहू, स्वीकार कर लिया | इतने बड़े व्यापारी के घर में रिश्ता तय करके लड़की का पिता बहुत खुश थी | इधर, मार्शल बहुत खुश था कि उसे इतनी मेहनती और होशियार लड़की बहू के रूप में मिल रही थी जिसके घर में एक चुटकी धूल भी नहीं मिल सकी |



 





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बीमार घोडा 

एक बार एक किसान का घोडा बीमार हो गया। उसने उसके इलाज के लिए डॉक्टर को बुलाया।
डॉक्टर ने घोड़े का अच्छे से मुआयना किया और बोला,
"आपके घोड़े को काफी गंभीर बीमारी है। हम तीन दिन तक इसे दवाई देकर देखते हैं, अगर यह ठीक हो गया तो ठीक नहीं तो हमें इसे मारना होगा। क्योंकि यह बीमारी दूसरे जानवरों में भी फ़ैल सकती है।"
यह सब बातें पास में खड़ा एक 
बकरा भी सुन रहा था।
अगले दिन डॉक्टर आया, उसने घोड़े को दवाई दी चला गया। उसके जाने के बाद बकरा घोड़े के पास गया और बोला, "उठो दोस्त, हिम्मत
करो, नहीं तो यह तुम्हें मार देंगे।"
दूसरे दिन डॉक्टर फिर आया और दवाई देकर चला गया।
बकरा फिर घोड़े के पास आया और बोला----

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