Wednesday, 22 October 2014

Bimar Raja

एक सनकी और चिड़चिड़े स्वभाव वाला राजा था I एक बार वह बहुत बीमार पड़ा उसके हकीमों ने उसको

बचाने की पूरी कोशिश कर ली ...मगर वह ठीक नहीं हो सका.किसी ने उसको सलाह दी...दुसरे राज्य  के

आयुर्वेद विभाग के प्रमुख आचार्य  को बुलाया जाय और उनसे भारतीय विधियों से इलाज कराया जाय उसे

यह सलाह पसंद नहीं थी कि कोई दुसरे राज्य का वैद्य ...उसके हकीमों से उत्तम ज्ञान रखते हो और

वह किसी बाहर के वैध  से .उसका इलाज करवाए फिर भी उसे अपनी जान बचाने के लिए उनको बुलाना

पड़ा। उसने वैद्यराज के सामने शर्त रखी...मैं तुम्हारी दी हुई कोई दवा नहीं खाऊंगा...किसी भी तरह मुझे

ठीक करों ...वर्ना ...मरने के लिए तैयार रहो. बेचारे वैद्यराज को नींद नहीं आई... बहुत उपाय

सोचा...अगले दिन उस सनकी राजा  के पास एक किताब   लेकर चले गए..कहा...इस किताब   की पृष्ठ

संख्या ... इतने से इतने तक पढ़ लीजिये... ठीक हो जायेंगे...!उसने पढ़ा और ठीक हो गया .. जी

गया...राजा और उसके मंत्री सब हैरान थे की केवल  पढ़ने से राजा कैसे ठीक हो सकते हैं. तब वैद्यराज ने

बताया की वह जानते थे की राजा पेज पलटने के लिए थूक का इस्तेमाल जरूर करेंगे बस...वैद्यराज ने

किताब  के कुछ पृष्ठों के कोने पर एक दवा का अदृश्य लेप लगा दिया था...वह थूक के साथ मात्र दस बीस

पेज चाट गया...ठीक हो गया 
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बीमार घोडा 

एक बार एक किसान का घोडा बीमार हो गया। उसने उसके इलाज के लिए डॉक्टर को बुलाया।
डॉक्टर ने घोड़े का अच्छे से मुआयना किया और बोला,
"आपके घोड़े को काफी गंभीर बीमारी है। हम तीन दिन तक इसे दवाई देकर देखते हैं, अगर यह ठीक हो गया तो ठीक नहीं तो हमें इसे मारना होगा। क्योंकि यह बीमारी दूसरे जानवरों में भी फ़ैल सकती है।"
यह सब बातें पास में खड़ा एक 
बकरा भी सुन रहा था।
अगले दिन डॉक्टर आया, उसने घोड़े को दवाई दी चला गया। उसके जाने के बाद बकरा घोड़े के पास गया और बोला, "उठो दोस्त, हिम्मत
करो, नहीं तो यह तुम्हें मार देंगे।"
दूसरे दिन डॉक्टर फिर आया और दवाई देकर चला गया।
बकरा फिर घोड़े के पास आया और बोला----

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